Satna Hospital: ब्लड बैंक की लापरवाही से 4 मासूम HIV पॉजिटिव

सत्येन्द्र सिंह ठाकुर
सत्येन्द्र सिंह ठाकुर

मध्य प्रदेश के सतना जिला अस्पताल से सामने आई यह खबर सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे Healthcare System पर सवालिया निशान है।
थैलेसीमिया जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे चार मासूम बच्चे, जो हर महीने रक्त चढ़वाकर ज़िंदगी बचाते थे, वही ब्लड उनके लिए HIV संक्रमण का कारण बन गया।

चार मासूम, एक गलती और जिंदगी भर की सजा

चारों बच्चे 8 से 10 साल के बीच हैं और पहले से ही थैलेसीमिया के मरीज हैं। रक्त उनके लिए दवा था, लेकिन अस्पताल के ब्लड बैंक की चूक ने उस दवा को ज़हर बना दिया। करीब चार महीने पहले की यह घटना अब उजागर हुई है, जिसने परिजनों के साथ पूरे शहर को झकझोर दिया।

HIV Test आया पॉजिटिव, तब खुली आंखें

ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल के अनुसार, बच्चों को नियमित रूप से रक्त दिया जाता है। जब लापरवाही की आशंका सामने आई, तब HIV टेस्ट कराया गया—और रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। सबसे चौंकाने वाली बात यह कि— HIV टेस्ट, जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले अनिवार्य होता है, किया ही नहीं गया।

एक नहीं, चार यूनिट HIV संक्रमित ब्लड!

यह मामला किसी एक गलती का नहीं है। चार बच्चे संक्रमित हुए हैं—मतलब चार अलग-अलग यूनिट ब्लड HIV पॉजिटिव था। यानी सिस्टम की चूक नहीं, बल्कि सीरियल फेल्योर है।

HIV डोनर्स आज तक ट्रेस नहीं

सबसे गंभीर पहलू यह है कि— HIV संक्रमित ब्लड देने वाले डोनर्स अब तक ट्रेस नहीं हुए। उन्हीं यूनिट्स से अन्य मरीजों और गर्भवती महिलाओं को भी रक्त दिया गया। कई लोग फॉलो-अप के लिए लौटे ही नहीं।

मतलब खतरा सिर्फ 4 बच्चों तक सीमित नहीं हो सकता।

Protocol कागज़ में, Reality में Zero

नियमों के मुताबिक, HIV पॉजिटिव केस सामने आने पर—
Donor tracing
Contact testing
ICTC coordination

लेकिन यहां न ICTC ने सक्रियता दिखाई, न अस्पताल प्रबंधन ने समय पर कदम उठाया।

प्रशासन हरकत में, पर देर से

मामले के तूल पकड़ने के बाद कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार ने CMHO से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अब सवाल ये है— क्या सिर्फ रिपोर्ट से उन बच्चों की जिंदगी वापस मिल जाएगी?

सटायर लेकिन कड़वा सच

यह मामला बताता है कि हमारे सिस्टम में— File चलती है, जिम्मेदारी नहीं। Protocol लिखे जाते हैं, निभाए नहीं जाते, और जब गलती सामने आती है, तब “जांच बैठा दी जाती है”, पर HIV के साथ जीने का बोझ उस जांच में शामिल नहीं होता।

यह सिर्फ सतना का मामला नहीं, बल्कि पूरे देश के ब्लड बैंक सिस्टम की Alarm Bell है। अगर Life Saving Blood ही Life Destroying बन जाए—तो सवाल सिर्फ गलती का नहीं, Accountability का है।

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